Diode Kya Hai? जानिए Tunnel Diode In Hindi और डायोड के प्रकार विस्तार से।
आज की पोस्ट में हम आपको Tunnel Diode in Hindi क्या होता है, इसके बारे में बताने जा रहे हैं। अगर आप भी Diode Kya Hai इसके बारे जानकारी प्राप्त करना चाहते है तो आप बिल्कुल सही पोस्ट पढ़ रहे है। Diode एक इलेक्ट्रिकल कॉम्पोनेन्ट होता है जो करंट के बहाव को एक ही दिशा में ले जाता है। Diode के दो इलेक्ट्रोड्स होते है कैथोड और एनोड। Diode सेमीकंडक्टर के बने होते है जैसे – सेलेनियम, जर्मेनियम, सिलिकॉन। डायोड दिखने में छोटा है, लेकिन उसका काम बड़ा होता है।
सभी इलेक्ट्रॉनिक सर्किट में डायोड का प्रयोग किया जाता है। सर्किट में कई तरह के कार्यों को करने के लिए इसका इस्तेमाल किया जाता है। मोबाइल फ़ोन में डायोड का महत्वपूर्ण स्थान होता है। यह इस प्रकार का कॉम्पोनेन्ट होता है की मोबाइल PCB में गलत पॉवर Supply देने पर मोबाइल में होने वाले किसी भी प्रकार के नुकसान से बचाता है। डायोड कई प्रकार के होते है और डायोड के Symbol भी अलग-अलग होते है। इन Symbol का प्रयोग सर्किट डायग्राम बनाने के लिए किया जाता है जिसमें यह दिखाया जाता है की यह डायोड है और यह कितनी वेल्यू का है।
तो दोस्तों अगर आप भी डायोड के बारे में सम्पूर्ण जानकारी जानना चाहते हैं तो हमारी यह पोस्ट Tunnel Diode Kya Hai (टनल डायोड क्या है) शुरू से अंत तक जरुर पढ़ें। हम आपको इसकी पूरी जानकारी बिल्कुल आसान और सरल भाषा में समझाएंगे।
Diode Kya Hai
Diode एक इलेक्ट्रिकल कॉम्पोनेन्ट होता है जो करंट के बहाव को एक ही दिशा में ले जाता है। Diode के दो इलेक्ट्रोड्स होते है कैथोड और एनोड। Diode सेमीकंडक्टर के बने होते है जैसे – सेलेनियम, जर्मेनियम, सिलिकॉन।
डायोड बेलनाकार होता है। जिसके एक तरफ सफ़ेद रंग की लाइन होती है। Diode में जो सिल्वर कलर की लाइन होती है उस तरफ टर्मिनल कैथोड होता है तथा डायोड के Symbol में जो ट्रायंगल की नोक है उस साइड कैथोड और दूसरी साइड एनोड है।
डायोड में एक दिशा में करंट बहने पर कैथोड और एनोड ज़ीरो रेसिस्टेंस होता है जिससे करंट का बहाव शून्य हो जाता है। डायोड दिखने में छोटा है। लेकिन उसका काम बड़ा होता है।
अभी आपने जाना डायोड क्या है अब आगे हम आपको डायोड कैसे काम करता है और डायोड के प्रकार क्या हैं इसके बारे में बताएँगे।
Diode Kaise Kaam Karta Hai
जब Diode के एनोड Terminal को पॉजिटिव वोल्टेज से और कैथोड Terminal को को नेगेटिव वोल्टेज से जोड़ देते है तो वोल्टेज अथवा करंट एक तरफ से दूसरी तरफ प्रवाहित होता है। इस प्रक्रिया को डायोड की फॉरवर्ड बायसिंग कहते है। और जब डायोड के एनोड टर्मिनल को नेगेटिव वोल्टेज दिया जाता है तो एनोड वोल्टेज को आगे जाने से रोकता है। इसे रिवर्स बायसिंग कहते है और जब डायोड के कैथोड टर्मिनल को पॉजिटिव वोल्टेज दिया जाता है तो कैथोड भी वोल्टेज को रोकता है तो इसे भी रिवर्स बायसिंग कहा जाता है।
Diode Kitne Prakar Ke Hote Hai
डायोड के कार्यों के अनुसार डायोड के अलग-अलग प्रकार होते है। सभी डायोड का काम भी अलग होता है। Diode Ke Prakar के बारे में जानकारी आपको आगे दी गई है:
Zener Diode: यह साधारण डायोड की तरह बिजली को आगे की दिशा में बहने देता है और यदि वोल्टेज, ब्रेकडाउन वोल्टेज से ज्यादा हो जाता है जिसे जेनर नी वोल्टेज या जेंनेर नी वोल्टेज भी कहते है तो यह करंट को उलटी दिशा में बहने की अनुमति भी देता है। Zener Diode का आविष्कार 1934 में Clarence Zener ने किया था। जब वोल्टेज एकदम से आती है तो उससे बचने के लिए इसका आविष्कार किया गया था।
Zener Diode का उपयोग एक सर्किट में वोल्टेज को नियंत्रित करने के लिए किया जाता है। जब रिवर्स बायस्ड करने के लिए इसे एक Transitional Voltage के Source के साथ समान रूप से जोड़ा जाता है तो वोल्टेज डायोड के ब्रेकडाउन वोल्टेज तक पहुँचने से जेनर डायोड ऑपरेट होता है और उस पॉइंट से वह वोल्टेज को उस मूल्य पर ही रखता है।
Tunnel Diode: Tunnel Diode का उपयोग हाई फ्रीक्वेंसी सर्किट में स्विच करने के लिए किया जाता है। जहाँ पर कार्य को नैनो सेकंड में करना होता है वहां Tunnel Diode का प्रयोग किया जाता है, जिसे कंप्यूटर तथा विभिन्न लॉजिक सर्किट में प्रयोग किया जाता है। टनल डायोड को Esaki Diode भी कहते हैं क्योंकि Tunnel Diode का आविष्कार Leo Esaki ने 1957 में किया था।
Light Emitting Diode: यह इलेक्ट्रॉनिक एनर्जी को लाइट एनर्जी में बदलने का कार्य करता है। Light Emitting Diode का आविष्कार 1968 में किया गया था। पहले इस डायोड का प्रयोग इंडक्टर लैंप में किया जाता था। अब इस डायोड का इस्तेमाल बड़े स्तर पर भी किया जाने लगा है। यह फारवर्ड बायोस की स्थिति पर कार्य करता है।
Laser Diode: यह डायोड लाइट एमिटिंग की तरह कार्य करता है। यह लाइट की जगह पर एक लेज़र बीम बनाता है। इस डायोड का इस्तेमाल बारकोड रीडर्स, फाइबर ऑप्टिक, लेज़र पॉइंटर्स में किया जाता है।
Shockley Diode: यह सबसे पहला Pnpn डायोड था। Shockley Diode का आविष्कार 1950 में William Shockley ने किया था और इन्हीं के नाम पर इस डायोड का नाम रखा गया।
Schottky Diode: Schottky Diode सेमीकंडक्टर और धातु के जंक्शन द्वारा बनी होती है। इस डायोड में धातु होने की वजह से यह अधिक मात्रा में करंट को बहाने की क्षमता रखती है। जर्मनी के Physicist Walter H. Schottky पर इस डायोड का नाम रखा गया है।
Constant Current Diodes: यह डायोड वोल्टेज को विशेष करंट पर नियमित रखता है। इसे करंट लिमिटेड डायोड या डायोड कनेक्ट ट्रांजिस्टर भी कहते है।
Varactor Diode: यह डायोड वेरिएबल केपेसिटर की तरह काम करता है। इस डायोड को बहुत सारे उपकरण में प्रयोग किया जाता है जैसे – सेल फ़ोन, प्री-फिल्टर्स, सैटेलाइट।
डायोड के उपयोग
डायोड का प्रयोग कई तरह से किया जाता है। आईये जानते है डायोड के उपयोग क्या हैं:
- डायोड का उपयोग तापमान मापने में किया जाता है।
- अधिक वोल्टेज से बचाव के लिए डायोड का प्रयोग किया जाता है।
- वोल्टेज रेगुलेटर, सिग्नल मिक्सर में भी डायोड का उपयोग किया जाता है।
- Diode Ke Upyog से Alternating Current को Direct Current में परिवर्तित किया जाता है।
- Radio Demodulation में डायोड का प्रयोग किया जाता है।
- सर्किट में करंट को मोड़ने में डायोड का प्रयोग करते है।
- Signal Limiters में Oscillator में डायोड का प्रयोग किया जाता है।
Conclusion
आज की पोस्ट में आपने जाना की Diode Kya Hai इसके साथ ही Tunnel Diode In Hindi की जानकारी भी आपने प्राप्त की। आशा करते है की हमारे द्वारा दी गई जानकारी आपके लिए उपयोगी होगी। टनल डायोड क्या है यह जानकारी प्राप्त करने के लिए हमारी इस पोस्ट की मदद ज़रुर ले। Types Of Diode In Hindi भी आज की पोस्ट के द्वारा आप जान गये होंगे। आपको यह जानकारी कैसी लगी हमें कमेंट करके बताये।
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