Bhasha क्या है? परिभाषा, प्रकार और इसके विविध रूपों की पूरी जानकारी

 

Bhasha एक इकलौता ऐसा माध्यम है जिसके द्वारा हम अपने भावों और विचारों का सरलता से आदान-प्रदान कर पाते है। मनुष्य अपने विचारों को दूसरों तक पहुँचाने के लिए भाषा का ही प्रयोग करते है। भाषा व्याकरण का सबसे महत्वपूर्ण भाग है। सही मायनों में कहा जाए तो भाषा से ही व्याकरण है और व्याकरण से ही भाषा का प्रयोग शुद्धता से किया जा सकता है। इसलिए आपके भाषा के ज्ञान को और निखारने के लिए आज हम ये आर्टिकल Bhasha Kise Kahate Hain लेकर आये है।

भाषा का मनुष्य के जीवन में बहुत महत्वपूर्ण योगदान होता है। भाषा वह एकमात्र साधन होता है जिसके द्वारा हम पढ़-लिख कर अपने जीवन में नाम बना पाते है, व कुछ बन पाते है। यानी जीवन को सार्थक बनाने का ज़रिया है भाषा। भाषा के माध्यम से हम अपने सुख, दुःख, क्रोध, उत्साह जैसे भावों को सरलता से व्यक्त कर पाते है। भाषा सामाजिक संबंध बनाने के लिए ज़रूरी साधन होती है, इसलिए भाषा के बारे में जानना सबके लिए आवश्यक है।

Bhasha Kise Kahate Hain

Bhasha किसे कहते हैं?

भाषा वह साधन है जिसके द्वारा मनुष्य अपने विचारों का आदान-प्रदान करते हैं। भाषा के प्रयोग से ही हम अपने विचार दूसरों के सामने प्रकट कर पाते हैं, उन्हें अपनी बात समझा पाते हैं और दूसरों के विचार समझ पाते हैं। आसान शब्दों में कहा जाए तो भाषा एक ऐसा माध्यम है जिसके द्वारा मनुष्य बोलकर, लिखकर, या इशारों में अपनी बात दूसरों तक पहुंचाते हैं, और दूसरे सुनकर, पढ़कर, या इशारे समझ कर बात कर पाते हैं।

मनुष्य को समाज में रहने, अपनी पहचान और मेल-जोल बनाने में भाषा की आवश्यकता होती है। हिंदी, अंग्रेजी, पंजाबी, गुजराती, इत्यादि भाषा के उदाहरण है। Bhasha की सहायता से आप कई प्रकार से अपने विचार प्रकट कर सकते हैं जैसे- अगर आपको पानी चाहिए हो तो आप अपने इस विचार या इच्छा को दूसरों को समझाने के लिए तीन तरह से पानी माँग सकते है या लोगों को समझा सकते है की आपको पानी चाहिए।

  • मौखिक ध्वनि द्वारा- मुझे पानी चाहिए।
  • कागज़ पर लिख कर- मुझे पानी चाहिए।
  • इशारों के माध्यम से- पानी के गिलास या बोतल की तरफ इशारा/संकेत करके।

भाषा की परिभाषा

जिस माध्यम से मनुष्य अपने विचारों और मन के भावों को दूसरों के सामने बोलकर या लिखकर व्यक्त कर पाते हैं, और दूसरे उसे सुनकर या पढ़कर ग्रहण कर पाते है, उसे भाषा कहते है।

भाषा की परिभाषा

भाषा की विशेषताएं

  • सार्थक ध्वनियों के मेल से भाषा बनती है।
  • भाषा के माध्यम से ही विचारों का आदान-प्रदान संभव है।
  • पूरे विश्व में हज़ार से ज्यादा भाषाओं का प्रयोग किया जाता है। हर भाषा के अपने अलग नियम और व्याकरण होते हैं।
  • हर क्षेत्र की भाषा अलग हो सकती हैं परन्तु भाषा का उद्देश्य एक ही होता है, वह है भावों और विचारों का आदान-प्रदान।
  • भाषा का स्वभाव परिवर्तनशील होता है, इसमें हर दिन नए शब्द जुड़ते हैं, और पुराने शब्द मिटते या टूटते भी हैं।

तो जब आप जान गये हैं भाषा किसे कहते हैं हिंदी व्याकरण में इसका क्या योगदान है, तो अब आगे बढ़ते हैं और जानते हैं भाषा की परिभाषा के बारे में।

भाषा कितने प्रकार की होती है?

मुख्य रूप से भाषा तीन प्रकार की होती है –

  1. मौखिक भाषा
  2. लिखित भाषा
  3. सांकेतिक भाषा

1. मौखिक भाषा (Maukhik Bhasha Kise Kahate Hain)

मौखिक भाषा वह होती हैं जिसमें मनुष्य बोलकर अपने विचारों को प्रकट करता है, और दूसरा उसे सुनकर समझता है। मौखिक भाषा मुख द्वारा उच्चारित होती है इसलिए इसे उच्चारित भाषा के नाम से भी जाना जाता है। मनुष्य पहले बोलना सीखता है इसलिए माना जाता है की भाषा का प्राचीनतम रूप मौखिक भाषा है।

मौखिक भाषा के उदाहरण:

  • टीचर बोलकर पढ़ा रही हैं, छात्र सुनकर समझ रहे हैं।
  • प्रधानमंत्री जी भाषण दे रहे हैं, जनता उनका भाषण सुन रही है।
  • सीता टेलीफोन पर चाची से बात कर रही है।

मौखिक भाषा की विशेषताएं –

  • इसे भाषा का अस्थायी (Temporary) रूप माना जाता है।
  • उच्चारित होते ही मौखिक भाषा समाप्त हो जाती है।
  • मौखिक भाषा में वक्ता और श्रोता का आमने-सामने होना ज़रूरी है, तभी इसका प्रयोग किया जा सकता है।
  • ‘ध्वनि’ मौखिक भाषा का आधारभूत इकाई है।
  • यह भाषा का मूल रूप है।

2. लिखित भाषा (Likhit Bhasha Kise Kahate Hain)

भाषा का वह रूप जिसमें एक व्यक्ति अपने विचार लिखकर प्रकट करता है और दूसरे व्यक्ति उस बात को पढ़कर समझते हैं, उसे लिखित भाषा कहते हैं। दूसरे शब्दों में कहा जाए तो, जब हम अक्षरों या चिन्हों की सहायता से अपने मन के भावों या विचारों को लिखकर व्यक्त करते हैं, उसे लिखित भाषा कहते हैं।

लिखित भाषा का आधार ‘वर्ण’ है। इसलिए लिखित भाषा का प्रयोग करने के लिए व्यक्ति का पढ़ा-लिखा होना आवश्यक होता है।

लिखित भाषा का उदाहरण- पत्र, कहानी, लेख, जीवनी, तार, संचार-पत्र आदि।

लिखित भाषा की विशेषताएं –

  • लिखित भाषा को भाषा का स्थयी (Permanent) रूप माना गया है।
  • लिखित भाषा के प्रयोग से हम अपने भावों और विचारों को अनंत काल के लिए सुरक्षित रख सकते हैं।
  • इसमें वक्ता और श्रोता का आमने-सामने होना ज़रूरी नहीं होता।
  • इसकी आधारभूत इकाई ‘वर्ण’ है।
  • भाषा का गौण रूप लिखित भाषा है।

3. सांकेतिक भाषा (Sanketik Bhasha Kise Kahate Hain)

जब संकेतो या इशारों के माध्यम से भाव या विचार दूसरों को समझाए जाते हैं, भाषा के उस रूप को सांकेतिक भाषा कहते है।

सांकेतिक भाषा का उदाहरण:

  • मूक-बधिर व्यक्तियों के लिए टीवी पर समाचार। संकेतों के माध्यम से बात समझायी भी जाती है और समझी भी जाती है।
  • माँ ने आँखों से इशारा करके शुभम को मेहमानों के सामने मिठाई न खाने का संकेत दिया, इसलिए उसने मिठाई नहीं खाई।

सांकेतिक भाषा की विशेषताएं –

  • व्याकरण से सांकेतिक भाषा का अध्ययन नहीं किया जा सकता। इसलिए इसे व्याकरण में नहीं पढ़ाया जाता।
  • सांकेतिक भाषा का प्रयोग करने के लिए समझाने वाले और समझने वाले का आमने-सामने होना ज़रूरी है।

उम्मीद है Bhasha Ke Kitne Bhed Hote Hain या Bhasha Kitne Prakar Ki Hoti Hai ये आप जान गये होंगे, चलिए अब जानते है Bhasha Ke Kitne Roop Hai.

भाषा के कितने रूप होते हैं?

हर देश में मुख्य तौर पर भाषा के निम्नलिखित 3 रूप पाए जाते है –

1. बोली

भाषा के मौखिक रूप को बोली कहते हैं। जिस भाषा का प्रयोग आपस में संवाद (Communicate) करने के लिए किसी स्थान विशेष पर रहने वाले लोग करते है, उसे बोली कहा जाता है। यह आम बोल-चाल की भाषा होती है इसलिए इसे सामान्य भाषा भी कहा जाता है।

बोली का क्षेत्र बहुत सीमित होता है। यह क्षेत्र के हिसाब से बदलती रहती है अर्थात बोली हर क्षेत्र में भिन्न होती है। बोली के उदाहरण- मारवाड़ी, ब्रजभाषा, पहाड़ी हिंदी, पूर्वी हिंदी, आदि।

2. मानक भाषा/परिनिष्ठित भाषा

मानक भाषा (Standard Language) वह भाषा होती है जिसको प्रदेश में औपचारिक भाषा की मान्यता प्राप्त होती है। इसका प्रयोग एक प्रदेश में आदर्श भाषा की भांति किया जाता है, तथा सभी औपचारिक स्थानों एवं संस्थानों में उस भाषा का प्रयोग शिक्षा, व्यवहार, पत्रकारिता, साहित्य, प्रशासन आदि में किया जाता है।

इस भाषा में व्याकरण और उच्चारण के नियम निर्धारित होते है। मानक भाषा को परिनिष्ठित भाषा और टकसाली भाषा के नाम से भी जाना जाता है। इन भाषाओं को मानक भाषा का दर्जा प्राप्त है- हिंदी, अंग्रेजी, संस्कृत, पंजाबी, फ्रेंच, आदि।

3. राष्ट्रभाषा

राष्ट्रभाषा वह भाषा होती है जिसे एक देश के अधिकतर निवासी आसानी से बोल व समझ सकते है। दूसरे शब्दों में कहा जाए तो भाषा का वह रूप जिसका प्रयोग देश के अधिकतर भागों/प्रदेशों के लोग एक-दूसरे से संपर्क करने के लिए करते हैं और जिसके नियम व्याकरण में निर्धारित है, उसे राष्ट्रभाषा कहते है। राष्ट्रभाषा को देश की एकता, अखंडता, अस्मिता और गौरव का प्रतिक माना जाता है।

राष्ट्रभाषा हर राष्ट्र (देश) की होती है। किन्तु भारत की अभी तक कोई राष्ट्रभाषा नहीं है, पूरे भारत में औपचारिक कार्यों के लिए हिंदी और अंग्रेजी भाषा का प्रयोग किया जाता है। राष्ट्रभाषा के अन्य उदाहरण- फ्रांस की राष्ट्रभाषा फ्रेंच है, जर्मनी की राष्ट्रभाषा जर्मन, रूस की राष्ट्रभाषा रूसी आदि।

भाषा के कुछ अन्य रूप इस प्रकार है –

संपर्क भाषा: संपर्क भाषा वो भाषा होती है जिसका प्रयोग एक राज्य से दूसरे राज्य या एक देश से दूसरे देश में संपर्क करने के लिए किया जाता है। भारत में राज्यों के बीच संपर्क स्थापित करने के लिए हिंदी भाषा का प्रयोग किया जाता है, वहीं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अंग्रेजी भाषा का प्रयोग संपर्क भाषा के रूप में किया जाता है।

मातृभाषा: मातृभाषा वह भाषा होती है जो एक बच्चा अपने परिवार से सीखता है। जैसे किसी पंजाबी परिवार में पैदा हुए बच्चे के घर में अगर अधिकतर लोग पंजाबी बोलते हैं तो उस बच्चे की मातृभाषा पंजाबी होगी। ऐसे ही अगर किसी का जन्म गुजराती परिवार में हुआ है तो उसकी मातृभाषा गुजराती होगी।

अंतरराष्ट्रीय भाषा: वह भाषा जिसका प्रयोग अधिकांश देशों द्वारा संपर्क करने के लिए किया जाता है, उसे अंतरराष्ट्रीय भाषा कहा जाता है। जैसे आज के समय में अंग्रेजी भाषा का अंतर्राष्ट्रीय भाषा के रूप में प्रयोग किया जाता है।

हिंदी भाषा से जुड़े कुछ तथ्य

  • हिंदी, पंजाबी, हरियाणवी, गुजराती, आदि उत्तर भारत की अधिकांश भाषाओं का मूल स्रोत संस्कृत है।
  • समय के साथ-साथ भाषा का विकास होता रहता है। आज के समय में जिस रूप में हिंदी बोली व लिखी जाती है उसे खड़ी बोली कहा जाता है।
  • हिंदी भाषा में पहली कविता 13वीं-14वीं शताब्दी में अमीर खुसरो द्वारा रची गयी थी, जिसका नाम ‘पहेलियाँ-मुकरियाँ’ था। इसकी कुछ पंक्तियाँ इस प्रकार हैं-

“एक थाल मोती से भरा, सबके सर पर औंधा धरा।
चारों ओर वह थाली फिरे, मोती उससे एक न गिरे।”

  • हिंदी भाषा का प्रयोग सिर्फ भारतीय सीमा तक ही सीमित नहीं है। श्रीलंका, बर्मा, दक्षिण और पूर्वी अफ्रीका, सूरीनाम, मॉरिशस जैसे देशों में भी हिंदी भाषा बोली जाती है।
  • भारत के अलावा फिजी एक मात्र ऐसा देश है जिसने हिंदी को आधिकारिक भाषा का दर्जा दिया है।

Conclusion

आज के इस लेख के माध्यम से हमने आपको भाषा क्या है के बारे में सम्पूर्ण जानकारी देने का प्रयास किया है। इसमें हमने भाषा की परिभाषा, Bhasha Kise Kahate Hain, Bhasha Ke Kitne Roop Hote Hain, भाषा के कितने प्रकार होते है उसके बारे में जानकारी दी है। साथ ही हिंदी भाषा से जुड़े कुछ रोचक तथ्य भी हमने आपको इस पोस्ट में बताएं हैं।

हमें उम्मीद है व्याकरण का यह महत्वपूर्ण टॉपिक Bhasha Kise Kahate Hain Hindi Mein जिस प्रकार से हमने बताया, उससे आपको इस टॉपिक को समझने में आसानी हुई होगी। अगर आपको ये पोस्ट पसंद आया हो तो इसे अपने दोस्तों, साथियों के साथ शेयर ज़रूर करें। साथ ही इस पोस्ट से जुड़े यदि कोई सुझाव-सुधार आपके पास है तो उन्हें Comment करके हमें ज़रूर बताएं।

FAQs – भाषा किसे कहते है?

भाषा और बोली में क्या अंतर है?

भाषा विस्तृत होती है जबकि बोली क्षेत्र तक ही सीमित होती है। भाषा में व्याकरण और लिपि होती है, वहीं बोली में ये दोनों ही नहीं होते। साथ ही, भाषा का प्रयोग नियमानुसार किया जाता है, और बोली में नियम नहीं होते। एक भाषा के अंतर्गत कई बोलियाँ हो सकती है परन्तु बोली में कई भाषाएँ नहीं हो सकती।

भाषा और व्याकरण में क्या संबंध है?

भाषा की शुद्धता तथा अशुद्धता का ज्ञान हमें व्याकरण से होता है। व्याकरण एक ऐसी विद्या है जिसके माध्यम से हम भाषा को उसके शुद्ध रूप में, स्पष्टता से लिख या बोल सकते हैं।

भारत में कितनी भाषाएं मान्यता प्राप्त हैं?

भारत में अधिकारिक भाषा के तौर पर 22 भाषाओं को मान्यता प्राप्त है।

विश्व में सबसे अधिक बोले जाने वाली भाषा कौनसी है?

विश्व में सर्वाधिक मंदारिन (चीनी) भाषा बोली जाती है। एक रिसर्च के अनुसार, मार्च 2019 तक विश्व में मंदारिन बोलने वालों की संख्या 17.1 प्रतिशत थी।

भारत में सबसे प्राचीन भाषा कौनसी है?

संस्कृत भाषा को भारत की सबसे प्राचीन भाषा माना गया है।

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